लेलो शरण कन्हियाँ दुनिया से हम है हारे,
नहीं ठोर न ठिकाना फिरते है मारे मारे,
गुजारी है ज़िंदगानी अश्को को पीते पीते,
बीती जो मुझे पे बाबा किसी और पे न बीते,
छोटी सी ज़िंदगी है और गम है ढेर सारे,
लेलो शरण कन्हियाँ दुनिया से हम है हारे,
अब तक निभाई मैंने जिनसे भी रिश्ते दारी,
निकले वही कन्हियाँ सुख चैन के शिकारी,
किस पे करे भरोसा देते है सब दगा रे,
लेलो शरण कन्हियाँ दुनिया से हम है हारे,
माधव सुनाई करदो मुझे आस इक तुम्ही से,
वाकिफ हो तुम कन्हियाँ जीवन की हर कमी से,
देते है जखम सारे मिलते नहीं दवा रे,
लेलो शरण कन्हियाँ दुनिया से हम है हारे