तू कन्हियाँ से नजरे मिला तेरी किस्मत बदल जाएगी,
सिर इसके आगे तू झुका बात बिगड़ी भी बन जाएगी,
तू कन्हियाँ से नजरे मिला.......
क्या मांगता है इस जग से सिवा ठोकरों से कुछ न मिलागा,
झोली इसके तू आगे फैला झोली खुशियों से भर जाएगी,
तू कन्हियाँ से नजरे मिला,
कर्ज पे कर्ज बांके ने सबको दिया,
मूल क्या वयज भी तो न हमसे लिया,
अब ऐसी तू राह दिखा मंजिल मुझको भी मिल जाएगी,
तू कन्हियाँ से नजरे मिला,
सारे जग में इनकी हकूमत चले,
इनकी मर्जी बिना पता भी न हिले,
शुक्ला लिखता है पारस तू गा,
बात तेरी भी बन जाएगी,
तू कन्हियाँ से नजरे मिला,