लेकर कावर निकल अपने घर से,
आया आया सन्देश भोले के दर से,
वोज उतरे गा पापो का सिर से,
आया आया सन्देश भोले के घर से
घोते गंगा में लगा कांवरियां,
फिर कावरिये उठा कांवड़ियाँ,
चल तू अब क्यों थमा है कांवरियां,
सब की किस्मत में नहीं होता है कांवर लाना,
गंगा मियां को यु अपने घर लाना
थामले बस जरा सा सबर से,
आया आया सन्देश भोले के घर से ....
शिव को गंगा से जो मिलाये गा,
शिव का आशीष वो पायेगा,
भकत भोले का वो कहलाये गा,
भोला हर साल उसे भुलाये गा,
शिव के दीवानो में लिखवा ले नाम कावरियां,
पीले शिव शम्भू की भक्ति के जाम कांवड़ियाँ,
मांगो मत कुछ इधर से उधर से,
आया आया सन्देश भोले के घर से