शृंगार गज़ब तेरा माँ किसने सजाया है,
कही लग न जाए किसी की नजर,
ताजे फूलो से आंगन महक रहा,
तेरा चंदा सा मुखड़ा दमक रहा,
मन मोहक शृंगार तेरा और जन्नत सा दरबार तेरा,
कही लग न जाए किसी की नजर,
ऐसी मेहँदी की लाली ना देखि कही,
ऐसी चुनरी ना आई नजर में कही,
जो तुम से जुड़ जाता है अनुपम ही हो जाता है,
कही लग न जाए किसी की नजर,.....
तेरे मुखड़े से नजरें हटती नहीं,
तेरे दर्शन से आंखे थक ती नहीं,
काल कहे तुम सा सूंदर माँ कोई नहीं है धरती पर,
कही लग न जाए किसी की नजर,