डाट काली माँ मिल गई

सोहनी ममता दी ठंडी ठंडी छा मिल गी,
साहणु जदों दी डाट काली माँ मिल गई॥

देहरादून विच लाये मैया जी ने डेरे ने,
खुशियाँ ते चाह वंडे चार चुफेरे ने,
चंगे होंन गे कर्म खरे ता मिल गी,
साहणु जदों दी डाट काली माँ मिल गई॥

कदे ना भुलाए कदे दिलो भी ना भूलिए,
दुनिया दे उते मेरी माँ अन्मुली एह,
जिहदा मूल ना जग तो परा मिल गई,
साहणु जदों दी डाट काली माँ मिल गई॥

उची नीवी था तो जिहने सदा है सम्बालेया,
शुकर मनावा ओह्दा ‘रिंकू ढनडा’ वालेया,
‘कमान’ नु चरना च था मिलगी,
साहणु जदों दी डाट काली माँ मिल गई.........
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