चंद्रघन्टा माँ से अर्जी मेरी,
मैं दास बनु तेरा अब जैसे मर्जी तेरी,
दस हाथ शुशोभित है,
सोने सा रूप तेरा जिस पर जग मोहित है,
तू अति बल शाली है,
दुष्टो का दमन करती तेरी शान निराली है,
जादू या अजूबा है,
चन्दर घंटा सवारे दुनिया,
जिसने माँ को पूजा है,
जय जय चंद्रघन्टा माँ
तलवार कमंगल माँ,
घंटे की प्रबल ध्वनि से गूंजे भू मंडल माँ,
माँ का दूध शहद भोग है,
बस पूजन अर्चन से दुःख निकट नहीं आता
तेरी पूजा खुशाली है,
हे मात तू चन्दरघंटा तेरी शान निराली है,
दुःख अंजू का भी हरती,
शरणागत की रक्षा देवेंद्र सदा करती,