गोरा लादे भाँग का लोटा

सुन मेरी गोरा मान ले कहना लादे भाँग का घोटा रे,
छोड़ के सारे कामा ने मने पियादे भाँग का लोटा रे,
मैना मानू बात तेरी तेरा रोज का झझट मोटा रे,
छोड़ के सारे कामा ..........

रोज भाँग घुटवावे से कितना मने सातवे से,
हाथ भी दुखे देख भोले पर तने तरस ना आवे से,
छोड़ निगोड़ी भाँग भोले छोड़ दे मने सताना रे,
छोड़ के सारे कामा,,,,,,,,,,,,

रे गोरा इतना एढे ना भाग निगोड़ी बोले ना,
तेरे हाथ की पिसी भाँग में आवे कितना मने मजा,
मेरी से कमजोरी भाँग इसपे क्यों इतरावे से,
छोड़ दे सारे कामा,,,,,,,,,,,,,,,,,,

कर्म फुट गये देख भोले जिसदिन से में बियाह के आई,
घोट 2 के भाँग तेरी रे में तो आधी होती आई,
लाडू पेड़े बर्फी खाले छोड़ दे भाँग का पीना रे,
छोड़ के सारे कामा ,,,,,,,,,,,,,,,

हाथ जोड़ के कहू सू भोले छोड़ दे भाँग का पीना रे,
छोड़ दे अपनी जींद ने गोरा भाँग बिना क्या जीना रे,
अपनी तो दोनों से यारी ,राही, का यो कहना से,
छोड़ दे सारे कामा ने मने प्यादे भाँग का लोटा रे,,,,,,,,,,,,

,,,,,,,,,,,,,,,,,  Arun Chauhan Rahi
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