सावन की बरसी ठंडी फुहार,
पेड़ो पे झूलो की लगी कतार,
राधा झूला झूल रही संग श्याम के,
श्याम की बंसुरिया,
गीत मल्हार के गा रही है,
बादलो से जैसे,
आज मोती से बरसा रही है,
पावन चले पुरवाई,
राधा झूला..........
कूकती है कोयल,
पीहू पीहू पपीहा पुकारे,
हर कदम की डाली,
बोले आओ सावरिया हमारे,
झूलन की रुत आई
राधा झूला........
इस युगल छवि का,
कोन बन जायेगा ना दीवाना,
राधा जू शमा सी,
परवाने से लगते है कान्हा,
छवि मेरे मन भाई,
राधा झूला......
ग्वाल बाल सखियाँ आज होक मगन नाचते,
हाथ जोड़ इनसे आशीर्वाद सब मांगते है,
महिमा दास गई,
राधा झुला ......