आज बेटी जनक की

आज बेटी जनक की अवध को चली
मां की ममता चली घर की लक्ष्मी चली ॥
आई बेटी....    

कौन कहता है ज्ञानी जनक हैं बड़े,
प्यारी बेटी के आँसू लिये हैं खड़े,
मां सुनैना के आँखों की पुतली चली,
आज बेटी जनक...... ...

तोता मैना पुकारे सिया ओ सिया,
बन्द पिंजरे में क्यूँ तूने मुझको किया,
आज उड़ जा तहन भी अवध की गली,
आज बेटी जनक............

तोता रोओ नहीं न रोओ सरका,
आँसुओ से भरा है जीवन नारी का,
कह देना पिता की दुलारी चली
आज बेटी जनक..........
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