सोने का त्रिशूल कमंडल पित्तल दा
कैसा सोहना रूप है भोले शंकर का
मैं जब जब तुमको देखूं, तेरी जटो में गंगा साजे
तेरी जटो में गंगा साजे वो बड़ी प्यारी लागे
कमंडल पित्तल दा,
कैसा सोहना रूप है भोले शंकर का
सोने का त्रिशूल कमंडल पित्तल दा
कैसा सोहना रूप है भोले शंकर का
मैं जब जब तुमको देखूं, तेरे माथे पे चंदा साजे
तेरे माथे पे चंदा साजे, वो बड़ा प्यारा लागे
कमंडल पित्तल दा
मैं जब जब तुमको देखूं, तेरे गले में नाग विराजे
तेरे गले में नाग विराजे वो बड़े प्यारे लागे
कमंडल पित्तल दा
मैं जब जब तुमको देखूं, तेरे कानों में कुंडल साजे
तेरे कानों में कुंडल साजे वो बड़े प्यारे लागे
कमंडल पित्तल दा
मैं जब जब तुमको देखूं, तेरे तन पे मृगशाला साजे
तेरे तन पे मृगशाला साजे वो बड़ी प्यारी लागे
कमंडल पित्तल दा
मैं जब जब तुमको देखूं, तेरे संग में गौरा साजे
तेरे संग में गौरा साजे, वो बड़ी प्यारी लागे
कमंडल पित्तल दा
मैं जब जब तुमको देखूं, तेरी गोदी मैं गणपति साजे
तेरी गोदी मैं गणपति साजे, वो बड़े प्यारे लागे
कमंडल पित्तल दा
मैं जब जब तुमको देखूं, तेरे चरणों मैं नंदी साजे
तेरे चरणों मैं नंदी साजे वो बड़ा प्यारे लागे
कमंडल पित्तल दा