पर्वत पे जो रेहते करते बैल की सवारी,
पर भगतो को देते है बंगले मोटर गाडी,
दानी दूजा कौन होगा ऐसा कोई नही मेरे भोले जैसा,
लेके आशा जो चरणों में रोते है
मेरे बाबा तुरंत खुश होते है
वर मांगो चाहो जैसा
कोई नही मेरे भोले जैसा,
दया भगतो पे बरसाते रेहते है
दानी सुर नर मुनि शिव को केहते है ,
मन में भ्रम फिर कैसा
कोई नही मेरे भोले जैसा,
किरपा आदित्य आनंद पाते है
गुण जे दी विवेक सदा गाते है
देते बल बुधि और पैसा
कोई नही मेरे भोले जैसा,