वाजा मारिया बुलाया लखवारी,
किसे ने मेरी बाह न फड़ी,
ओ माये दुनिया ता रख लई आ सारी,
किसे ने मेरी बाह न फड़ी,
एहना मेरा सकता नाल सीना गया तर माँ,
हूँ प्र्शावे तो भी लगदा हां दर माँ,
टूटे खम्बा नाल लावी की उडारी,
किसे ने मेरी बाह न फड़ी...
गल्ला से संगी साथी हो गए वख माँ,
झूठे भी दिलासिया ने मीच लई अख माँ,
हेठ फुला दे ही लुकी सी कटारी,
किसे ने मेरी बाह न फड़ी...
जेह्ड़े पासे जावा उथे खोट ही खोट माँ,
हूँ निर्दोशा दी ऐ तेरे उते ओट माँ,
हारे कड कड ज़िन्दगी है हारी,
किसे ने मेरी बाह न फड़ी...