ऐसा है विश्वास हमारा यहाँ यहाँ मैं जाउगा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को वहां वहां मैं पाउगा,
गांव गांव और गली गली में श्याम नाम का जोर है,
जिधर भी देखु उधर श्याम के रस में सब विभोर है,
यहाँ मिले गे श्याम के प्रेमी मैं भी वही रम जाउगा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को वहां वहां मैं पाउगा,
देख देख कर श्याम का परचम मन मेरा ये कहने लगा,
पाप की नाइयाँ अब दुबे गी,
सूरये धर्म का चढने लगा लाली माँ ने मस्ती भर दी और भला क्या चहु गा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को वहां वहां मैं पाउगा,
सुनले मेरी बात ध्यान से अब प्यारे मत देर करो,
अब भी समय है श्याम सुमर ले पापो का मत ढेर करो,
नंदू मैं तेरा तू मेरा गीत श्याम के गाउ गा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को वहां वहां मैं पाउगा,