जीमो जीमो सांवरिया छप्पन

जीमो जीमो सांवरिया छप्पन भोग सजाया मैं तो थाल खड़ा,

गंगा जल छारी भर लाया चन्दन चौंकी बिछाई,
कंचन थाल परोस दिया प्रभु पनको दे मुदलाई,
इतना मत न थे शर्माओ म्हारा श्याम,
आजा मैं तो कद से खड़ा,

खीचड़ खाओ घी गालूंगा ऊपर देउ गी शकर,
छीडवे का पेड़ा बाबा ना कोई इणरी टकर,
भुजिया बिकानेरी ख्वाउ महारा श्याम,
सांगा मेरी दाल पड़ी,

गरमा गर्म पकोड़ा बनाया बड़ा बनाया दही का,
समोसा और कचोरी बनाई कोरा  बड़ा मजे का,
सुकि सांगरी को चोखो लागे साग,
होर लाया दही कड़ी,

दिल्ली की है सोन पापड़ी आगरे का पेठा,
मथुरा जी का पेड़ा बड़ियाँ वृन्दावन का मठा,
रसगुल्ला कलकत्ता के मैं ले आया श्याम
अर्ज करता कब से खड़ा,

कलाकंद पिस्ते की बर्फी जलेबी उतर उतरती,
रसमलाई और बालूशाही अमृति झरती झरती,
मिठो बाजरो ख्वाउ महारा श्याम,
खवाऊ थाने केर फली
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