मुझे ऐसा मिला मोती ऐसा मोती कोई सागर में न होगा,
मुझे ऐसा मिला तारा ऐसा तारा कोई अम्बर में न होगा,
तन जिसका है मन भावन मन जिसका पावन पावन,
ऐसे वो मिला जैसे की मिले प्यासी धरती को सावन,
मुझे ऐसा मिला मोती ऐसा मोती कोई सागर में न होगा,
महलो से मैं कब मानी दौलत को दौलत न जानी,
सारा ही जहां सूरज देखे मैं सीरत की दीवानी,
मुझे ऐसा मिला मोती ऐसा मोती कोई सागर में न होगा,
वो वफ़ा करे सेह लुंगी वो गिला करे गिला करे सेह लुंगी,
जिस हाल वो रखे मुझको उस हाल में मैं रह लुंगी,
मुझे ऐसा मिला मोती ऐसा मोती कोई सागर में न होगा,