शेलपुत्री भवानी तुम ही हो,
तुम ही हिमांचल दुलारी कहलाती,
नो रूपों में प्रथम तेरी पूजा करने दुनिया ये दर तेरे आती,
शेलपुत्री भवानी तुम ही हो......
हाथ तेरे कमल और त्रिशूल द्रिवय रूप विश्वव पर बिराजे,
लम्बी लम्बी कतारे लगा कर पल में खुशिया सभी देखो पाती,
शेलपुत्री भवानी तुम ही हो......
वस्त्र धारण भवाल शेष सिर पे माँ का मुकट अलौकिक सोहे,
देख शवि कितनी सूंदर है माँ की,
भक्तो पर अपने किरपा लुटाती,
शेलपुत्री भवानी तुम ही हो,
सकल श्रिष्टि में जयकार गुंजित चरण धूलि अंजू पा के गरबित
चरणों में है देवेंदर पुजारी माता मिटी से सोना बनाती,
शेलपुत्री भवानी तुम ही हो,