नेत्र अंगनी पुंज ज्वाला कर रही तांडव तरह,
त्राहि त्राहि गान होके पाल में ,
देखो चामुंडा नाच रही ताल में,
खपर तिरशूल रखे बेर भी विगुल रखे मस्तक पे चंदरमाँ है,
नागिन से केश रखे लटक रही गले मुंड मॉल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल में,
खडकी से मार रही पैरो से रोंद रही जो जो काली मेगन दमानी सी क्रोध रही,
जीब लप लपाती फिरे पाल में,
देखो चामुंडा नाच रही ताल में,
विघ्नों से काली ने धरती को काट दियां,
चुन चुन कर इक इक शात्रू को काट दियां,
लौट रहे शंकर बी पाँव में ,
देखो चामुंडा नाच रही ताल में,