प्रेम तुम्हारा हमको झुंझुन खींच लता है

बाधो का जब जब माँ मेला आता है,
प्रेम तुम्हारा हमको झुंझुन खींच लता है,
आँखों में जब जब तेरा चेहरा आता है,
प्रेम तुम्हारा हमको झुंझुन खींच लता है,

झुंझुनू के गांव की वो बंद गलियां,
मंदिर की बगीची की फूलो की बगियाँ
झुंझुन की माटी की खुसबो सवाली,
दादी की चरणों का वो निर्मल पानी,
दर्शन तेरे करने से ही सब मिल जाता है,
प्रेम तुम्हारा हमको झुंझुन खींच लता है,

मेले में जाके हम के अकेले मिलते वही पे खुशियों की रिले.
दादी के भक्तो का ऐसा परिवार है दादी के प्रेम का मिलता उपकार है,
रहने के ख्यालो में जब ये आता है,
प्रेम तुम्हारा हमको झुंझुन खींच लता है,

ऐसा क्या तुमने जादू चलाया मोहित को तुमने अपना बनाया,
आँखों से अक्षक सा बेहता सैलाब  है या दिल में तेरी दादी दिल ये बेताब है,
ऐसा क्यों होता है समज न आता है,
प्रेम तुम्हारा हमको झुंझुन खींच लता है,
download bhajan lyrics (875 downloads)