चूनड़ ल्याया हां दादी जी

चूनड़ ल्याया हां भवानी जी थारा सेवक आज रे
ओढो ओढो न दादी जी थोडा आगे आये रे,
मान राख लो भगता को मैया थे तो आज रे,
ओढो ओढो न दादी जी थोडा आगे आये रे,

चम चम करती चुनरी ज्यू तारा मैं चंदा
सूरज सी किरना से दमकी जब लगवाया घोटा
थाणे भावे लाल रंग की चुनर को लाया रे
ओढो ओढो न दादी जी थोडा आगे आये रे,

पल्ला पल्ला पर घुंगरू बांधेया छम छम करता बाजे
पग लारी पायल से घुंघरू मेचिंग करता बाजे
यो भी ओड लो चुनर तो या तो थापे साजे रे
ओढो ओढो न दादी जी थोडा आगे आये रे,

चुनड ओड के लागे प्यारा चमके मुखड़ो थारो
भगता को भी मान बड़े दो बात या हमारी मानो
थारी ममता रा हाथ फिरा दो सर पे रे
ओढो ओढो न दादी जी थोडा आगे आये रे,

उचे सिंगासन आप विराजो सूरबी की ये सुन लेयो
सिंह सवारी बैठ के दादी बिच भगता के आजो
नाचो नाचो थे तो ओड के चुनर माहरे सागे रे
ओढो ओढो न दादी जी थोडा आगे आये रे,
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