बही भक्ति की गंगा-यमुना, श्रद्धाओं के दीप जलाये।
देखो फिर नवरात्रे आये।
कोई माँ का भवन बुहारे, कोई तोरणद्वार सँवारे,
यज्ञ-हवन में लगे सभी ही, लगा रहे माँ के जयकारे।
भोग लगाता कोई माँ को, कोई चुनरी लाल चढ़ाये,
देखो फिर नवरात्रे आये।
अम्बर कितना चमक रहा है, मातामय हो दमक रहा है,
मेघों का पानी भी जैसे, अमृत बनके छलक रहा है।
सूरज-चंदा और सितारों ने माता के मुकुट सजाये,
देखो फिर नवरात्रे आये।
फिरे पाप अब मारा-मारा, मिला धर्म को पुनः सहारा,
जगी ज्योत जैसे मैया की, दिव्य हुआ संसार हमारा।
आता-जाता हर क्षण मानो, मातारानी के गुण गाये,
देखो फिर नवरात्रे आये।