मेरी माँ से बड कर इस जग में है मुक्ति का दाता कोई नही
सब लोग याहा है स्वार्थ में है साथ निभाता कोई नही
माँ के आँचल सी छाओ नही माँ की ममता सा प्यार नही
माँ के चरणों सा धाम नही होता बिन माँ उधार नही
जो बच्चो का जीवन बदले माँ जैसा विध्याता कोई नही
मेरी माँ से बड कर इस जग में है मुक्ति का दाता कोई नही
भरती है कितनी मुसीबत कितनी माँ सीने का खून पिलाती है,
औलाद की थोड़ी मुसीबत में है तडप के माँ रेह जाती है
बड़े प्यार से गले लगाती है तब माँ को भाता कोई नही
मेरी माँ से बड कर इस जग में है मुक्ति का दाता कोई नही
बड़े प्यार से तेरी ऊँगली पकड़ एह मानव तुझे चलाती है
जीने की राह दिखाती है ये समज है पाता कोई नही
मेरी माँ से बड कर इस जग में है मुक्ति का दाता कोई नही
जो मात पिता की सेवा करे उसको जीते जी स्वर्ग मिले
फूलो की तरह जीवन मेहके घर में खुशियों की धुप खिले
वीरान न करता वैसे हिले तब दुःख है पाता कोई नही
मेरी माँ से बड कर इस जग में है मुक्ति का दाता कोई नही