तेरे द्वार पे अलक्ख जगा ली माँ शेरोवाली,
तेरे नाम की चढ़ गी लाली माँ शेरोवाली
तेरा द्वार देखा है माँ मैंने जब से ,
झुकाया नहीं सिर कही और तब से,
अगर स्वर्ग है जो कही तो यही है,
ये देखा है अब जाने सुनता है कब से,
तेरी इक झलक जब पा ली माँ शेरोवाली,
तेरे नाम की चढ़ गी लाली माँ शेरोवाली
तेरी ज्योत मन में समाई हुई है,
लग्न मैंने तुझसे लगाई हुई है,
हर इक सांस जप्ती है माँ तेरी माला ,
मस्ती माँ भगति की छाई हुई है,
मन मंदिर रहा न खाली माँ शेरोवाली,
तेरे नाम की चढ़ गी लाली माँ शेरोवाली
मुझे ध्यान देकर बनाया है ध्यानु,
माँ उपकार तेरा भला क्यों ना मानु,
मुकदर से ज्यादा दिया तूने दाती
किसी और दर का मैं रस्ता न जानू,
तेरे द्व्वार का मैं हु सवाली माँ शेरोवाली
तेरे नाम की चढ़ गी लाली माँ शेरोवाली