हर हर बम बम के नारे से खुश होने वला ये है डमरू वाला,
तन पे है बसम रमाये पहने मृग की शाला ये है डमरू वाला,
भांग धतूरा नित ये भोग लगाए,
शीश पे चंद जटा से गंगा बहाये,
आभूशण है जिनके गले सर्पो की माला है,
ये है डमरू वाला,
हर हर बम बम के नारे से खुश होने वला ये है डमरू वाला,
नंदी की सवारी करते संग में माता गौरी है,
भूतो से रिश्ता इनका कहलाते अगोरी है,
विश को पी कर नील कंठ कहलाने वाला ये है डमरू वाला,
हर हर बम बम के नारे से खुश होने वला ये है डमरू वाला,
सोने की लंका देदी रावण को दान में,
बागी रथ को जग कल्याण में,
खुश हो कर वर बस्मा सुर को देने वाला ये है डमरू वाला,