गुरु जी ना होते तो कुछ भी ना होता,
ना तुम होते ना मैं होता,
न फूलो में खुशबू होती,
ना दरिया में पानी होता,
ना जीवन में खुशिया आती,
ना सुख ये जहां होता,
ना तुम होते ना मैं होता,
दुःख का समन्दर बेहता यहाँ पे ना तुम होते ने मैं होता,
लेहरो में ना रंगत होती,
बस मुरझाया सा जहाँ होता,
ना तुम होते ना मैं होता,
जो प्यार मिला वो न मिलता,
परिवार मिला वो मिलता बस अन्धकार होता जग में,
तेरी रेहमत का न निशान होता,
ना तुम होते ना मैं होता,