झलक एक अपनी दिखा मुरली वाले

झलक एक अपनी दिखा मुरली वाले,
सम्बलता नहीं दिल समबालु मैं कैसे,
बता दे तू ही कैसे इस को समबाले,

कानो मे तेरी बंसी की धुन जो पड़ी,
ऐसा लगता है बजाते मिलोगे खड़े,
मगर खाई धोखा ये नजरे हमारी,
दिखाई न दो नजरे गिरधर हम डाले,
झलक एक अपनी दिखा मुरली वाले,

माना छलियाँ है तू ओ मेरे सँवारे,
ढूंढ़ते तुझको ही थक गई बांवरे,
है मंजूर सब कुछ तेरा श्याम प्यारे,
सितम चाहे जितना मुझपे तू धारे,
झलक एक अपनी दिखा मुरली वाले,

देखु जी भर तुझे है तमना मेरी,
आँखे हो ये मेरी और सूरत तेरी,
भरे अनसुइयो से कुंदन की अँखियाँ ,
तू छलका दे आके इन अनसुइयो के प्याले,
झलक एक अपनी दिखा मुरली वाले,
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