तुम तजि और कौन पे जाऊं

छेड़ी के पूछत लोग के प्रेम को रोग रे सूर लाग्यो तोहे कब ते
बाँवरो मैं भयो बाल गोपाल को रावरो रूप बस्यो हिय जब ते
हरी गुण गाई के मांगी के खाई के जोड़ी के हाँथ कहु यही सब ते
शीश नबे जिनके घनश्याम को शीश नबे काहू और को नब ते

बोलो हे ....बोलो हे...बोलो हे..गोपाल
तुम तजि और कौन पे जाऊं
काके द्वार जाहि सिर नाउँ
परहथ कहाँ बिकाऊ
तुम तजि और कौन पे जाऊं


फिल्म : चिंतामणि सूरदास

download bhajan lyrics (2088 downloads)