तरज़:-इक वादा किया है तेरे प्यार की कसम
प्यारी हम तुम दोऊ, एक कुंज के सख़ा,
राधे हम तुम दोऊ, एक कुंज के सख़ा,
रूठे क्यों पड़े, रूठे क्यों पड़े,
प्यारी हम तुम दोऊ, एक कुंज के सख़ा,
श्यामा......
यहाॅं नाहीं कोऊ, तेरो ओर मेरो,
जो यह पीर, झेले प्यारी जू,
रूठे क्यों पड़े, रूठे क्यों पड़े,
प्यारी हम तुम दोऊ, एक कुंज के सख़ा,
श्यामा......
हों तेरो बस, इक तूं मेरो
ओर को रीझ, सके प्यारी जू
रूठे क्यों पड़े, रूठे क्यों पड़े
प्यारी हम तुम दोऊ, एक कुंज के सख़ा
श्यामा......
हरिदास के स्वामी, श्यामा कुंज बिहारी जी,
कहत ना प्रित बनें प्यारी जू,
प्यारी हम तुम दोऊ, एक कुंज के सख़ा,
श्यामा......