माटी में मिले माटी पानी में पानी

माटी में मिले माटी पानी में पानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,
पानी का बुलबला जैसा तेरी ज़िंदगानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,

बाई बंद तेरे काम ना आवे,
कूटब कबेला तेरे साथ ना जावे,
संग न चले गे तेरे कोई भी प्राणी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,

रही न निशानी राजा वजीरों की,
इक इक ठाठ जिनके लाख लाख हीरो की,
ढाई ग़ज कपड़ा डोली पड़े गी उठानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,

खाना और पीना तो पशुओं का काम है,
दो घडी सत्संग न किया करता अभिमान है,
बीती जाये यु ही तेरी ज़िंदगानी,.
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,

करले भलाई जग में काम तेरे आएगी,
जायेगा जहां से जब साथ तेरे जायेगे,
कह बिंदु शर्मा अपनी छोटी सी कहानी,
अरे अभिमानी अरे अभिमानी,
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