स्वास देना प्रभु इतनी तो कम से कम
तुमसे मिलने से पेहले न निकले ये दम,
जो चलाता है ये सारे संसार को मैं भी कर लू जरा उसका दीदार तो
क्या पता फिर मिले न मिले ये जनम
तुमसे मिलने से पेहले न निकले ये दम,
आज जो कुछ भी हु तेरा उपकार है मेरे जीवन का इक तू ही आधार है ,
तेरा करदू अधा शुकरीयाँ कम से कम सेवा
तुमसे मिलने से पेहले न निकले ये दम,
जितनी सेवा तेरी करनी थी वो न की मुह दिखाने की मैं तुझको काबिल नही
फिर भी मुझको यकीन तू करेगा रेहम,
तुमसे मिलने से पेहले न निकले ये दम,
बस इसी आस में बीते जीवन मेरा इक दिन तो प्रभु होगा दर्शन तेरा
कित्नु तरसे तुझे देखने को नैन
तुमसे मिलने से पेहले न निकले ये दम,