साँचा है तेरा दरबार मइया शेरावाली,
ऊँचे ऊँचे पर्वत वाली सचिया सचियाँ ज्योता वाली,
तू ही दुर्गा तू ही काली,
साँचा है तेरा दरबार मइया शेरावाली,
चण्ड और मुंड ने स्वर्ग को गेरा और उत्पात मचाया,
देवता सारे शरण में आये मैया तुम को मनाया,
रोदर रूप माँ तुमने धारा चण्ड और मुंड को तुमने मारा,
साँचा है तेरा दरबार मइया शेरावाली,
गोरा रूप में शिव शंकर के वाम भंग तुम आई,
लक्ष्मी बन कर विष्णु जी के संग में तुम ही सुहाही,
ब्रह्माणी बन भगतो को तारा भव सागर से पार उतारा,
साँचा है तेरा दरबार मइया शेरावाली,
वैष्णो रूप में श्री धार पंडित तुमने पार लगाया ,
पापी भरो का पाप बड़ा जब तुमने मार गिरया,
पापी को माँ मार गिराए भक्त जनो पे प्यार लुटाये,
साँचा है तेरा दरबार मइया शेरावाली,
कंजक रूप में मेरे घर में शेरोवाली आना,
हलवा चने का मेरे हाथो मैया भोग लगाना,
लाल चुनरियाँ तुम को ोडाऊ रात और दिन गुण गान मैं गाउ,
साँचा है तेरा दरबार मइया शेरावाली,