बेड़ा गरीबों का पार करे खाटूश्याम

अगर तुम्हारा खाटू में दरबार नहीं होता
तो बेड़ा गरीबो का कभी पार नहीं होता

सारी दुनिया से मैं तो हार गया
रोते रोते तेरे दरबार गया
लगाया गले मुझे सहारा दिया
डूबती नइया को किनारा दिया
अगर बचाने वाला मेरा सरकार नहीं होता
तो बेड़ा गरीबो का कभी पार नहीं होता

अँधेरे बादल गम के छाये थे
कोई ना अपना,सभी पराये थे
थाम के हाँथ मेरा साथ दिया
जीवन में खुशियों की सौगात दिया
अगर तेरी नजरो में मेरा परिवार नहीं होता
तो बेड़ा गरीबों का कभी पार नहीं होता

खाटूवाले तुझसा कोई और नहीं
सारी दुनिया में मची है शोर यही
कलयुग अवतारी,हारे का साथी
थाम ले निज हांथो से डोर मेरी
अगर हमेशा तू लीले असवार नहीं होता
तो बेड़ा गरीबों का कभी पार नहीं होता

अगर तुम्हारा खाटू में दरबार नहीं होता
तो बेड़ा गरीबो का कभी पार नहीं होता

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