आओ गंगा के तट पे गंगा नहाइये,
स्वच्छ गंगा रखो गंगा को बचाइए,
पाप जायगे खट डुबकी लगाइये,
स्वच्छ गंगा रखो गंगा को बचाइए,
पतित पावन है ये कष्ट सब के हरे,
माँ के जैसी गंगा माँ मन को शीतल करे,
दूध सी धार को न काला बनाइये,
स्वच्छ गंगा रखो गंगा को बचाइए,
चांदी सी चमके माँ सूरज किरणे पड़े,
हाथ जोड़े यहाँ सभी देवता खड़े,
जल ही जीवन यहाँ ये पीड़ा उठाइये,
स्वच्छ गंगा रखो गंगा को बचाइए,
प्रेम की भूखी माँ प्रेम करती है ये,
अपने आंचल में पापो को धोती है,
गिरी गंगे माँ को और न रुलाइये,
स्वच्छ गंगा रखो गंगा को बचाइए,