तुम्हरा क्या कहना है श्याम

जुबा जुबा पे चर्चा इनका है इतनी मकबूल,
होती है श्री श्याम के दर पे सब की दुआ कबूल.
तुम्हरा क्या कहना है श्याम तुम्हे न भूलू सुबहो शाम,

इनकी बात निराली इनका जग में ऊंचा नाम,
जो हर सेह को सोना करदे वो पारस है श्याम,
इनका नाम लिए दुःख बागे इन्हे वो है शक्ति,
भंडारे भर जाए जो भी करे श्याम की भक्ति,
काँटा भी इनके परशाद से हो जाता है फूल,
होती है श्री श्याम के दर पे सब की दया कबूल,
तुम्हारा क्या कहना है श्याम....

जिसपे मेहर करे उसकी तकदीर स्वर जाये,
जो भी खाली जाये उसकी झोली भर जाये,
बाबा की चौखठ पे ऐसा नूर बरसता है,
मेरा शीश का दानी सबके दिल में बसता है,
कर देते ये माफ़ जो हमसे हो जाती है भूल.,
होती है श्री श्याम के दर पे सब की दया कबूल,
तुम्हारा क्या कहना है श्याम....

मैंने जैसा सुना था उसे जयदा ही पाया है,
सच मुच् श्याम तुम्हारे चरणों में आरमा आया है,
मैं तेरी हो चुकी सनवारे रोज आउंगी,
जीवन भर मैं सिमरन तेरी महिमा गाऊगी,
मुझे बना लो बाबा अपनी चरणों की तुम धूल
होती है श्री श्याम के दर पे सब की दया कबूल,
तुम्हारा क्या कहना है श्याम....
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