जो देते लहू वतन को,
जो महकाते उपवन को,
उन्हें शत शत परनाम मेरे देश का,
उनको सो सो सलाम मेरे देश का,
धरती को स्वर्ग बनाने माटी का कर्ज चुकाने,
जो कदम बढ़ाते है रक्शा का भोज उठाने,
जो मर कर भी जी ते है जो विश हर दम पीते है,
उन्हें शत शत परनाम मेरे देश का,
उनको सो सो सलाम मेरे देश का,
जो धीर वीर व्रत धरी वो सच्चे देश पुजारी,
इतहास वोही रचते है जिनका जीवन उपकारी,
जो दिल में रखे लग्न को वो पूरा करे सपन को,
उन्हें शत शत परनाम मेरे देश का,
उनको सो सो सलाम मेरे देश का,