तम्बू में न रहो मेरे राम जी

तम्बू में न रहो मेरे राम जी मेरे घर आ जाओ,
जो रुखा सूखा दिया आप ने भोग लगाओ,
प्रभु घर आ जाओ,
तम्बू में न रहो मेरे राम जी मेरे घर आ जाओ,

आ गहतो प्रत्याघातो से दुःख होता होगा आप को भी,
औलादे अगर नकमी हो तकलीफ हो माँ बाप को ही,
हम आप की ही संताने है प्रभु राह दिखो मेरे घर आ जाओ,
तम्बू में न रहो मेरे राम जी मेरे घर आ जाओ,

क्या सोच के इस जग की रचना प्रभु आप ने आखिर तर डाला,
मानव ही आप को भाहता है मानव ने ही बेघर कर डाला,
यदि आप की ये कोई लीला है प्रभु हमे बताओ मेरे घर आ जाओ
तम्बू में न रहो मेरे राम जी मेरे घर आ जाओ,

कट गरे में आप को खड़ा देख आँखों से आंसू बहते है,
दिक्कार है ऐसे जीवन पर जज्बात यही अब कहते है,
दिवाकर के इस व्यथित हिरदये को धीर धराओं, मेरे घर आ जाओ
तम्बू में न रहो मेरे राम जी मेरे घर आ जाओ,
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