दीप घी के जले है हम ख़ुशी में ढले,
सब दिवाली मनाये है,आज राम जी घर आये है,
संग है सीता मैया और लक्ष्मण भइयां,
देख के नैन हरषाये है,आज रामजी घर आये हैं
आगे आगे हनुमत चल रहे प्रभु को राह बनके,
जय श्री राम जय सिया राम की जयकार लगा के,
सब दर्श को विकल है,नैन भर लाये जल है,
प्राण मानु कि फिर पाए है,आज रामजी घर आये हैं
ढोल नगाड़े भजे अवध में भाज रही शहनाई,
इक दूजे को गले लगा कर सब दे रहे वधाई,
हो रही फूल वर्षा हर प्राणी है हर्षा,
चोंकि देखो पुरवाई है,आज रामजी घर आये हैं
कौशलया के ककई सुमित्रा ममता अपनी वारे,
माथा चूमे राम सिया का आरती उनकी उतारी,
माता लेती बलैया कर के ममता की छैया,
नैन जल न रोक पाए है,
आज रामजी घर आये हैं
राम सिया को सिंगशान पे प्रेम पे सभी बिठाये,
लखन भरत चरणों में बैठ कर रघु कुल रीत निभाए,
हाथ जोड़े खड़े है हनुमत खुश बड़े है,
रघुवंशी भी मुस्काये है,
आज रामजी घर आये हैं