रूखी मिले चाहे रोटी मुझे कोई गम नहीं,
रखना सुखी परिवार मेरा विनती है बस यही,
सिर पर हो न कर्जा कभी न हाथ फेहलाऊ कभी,
दर दर की ठोकर खाऊ न मुझे राह दिखादो सही,
घुट घुट के जीना बाबा मेरे बस में अब नहीं,
रखना सुखी परिवार मेरा विनती है बस यही,
नफरत को दिल से निकाल के तू प्यार सीखा देना,
रखा नहीं कुछ गरूर में,तू झुकना सीखा देना,
तेरे होते हुए न ढोलू गा ये पूरा तुझपे यकीन ,
रखना सुखी परिवार मेरा विनती है बस यही,