बेटी इतना धरियो ध्यान इस जग में नाम कमइयो,
इस जग में नाम कमइयो सासुल की बात सुन लीजो,
बेटी इतना धरियो ध्यान......
बेटी भोर भए नित उठ के अंगना मैं झाड़ू लगाईयों,
बिन नहाए ना तुलसी तोड़ो दिवे से दीवा मत जोड़ो,
दुर्गा पर ना दूंब चढ़ईयो मेरी बहुअल ध्यान लगाइयो,
बेटी इतना धरियो ध्यान......
कभी गणपत और भैरव को ना तुलसी चढ़ाया करते,
ना तामें में चंदन धरते बहु बात भुला ना करते,
गंगा का जल पवित्र है ना इसकी कदर घटईयो,
बेटी इतना धरियो ध्यान.....
नंगे सिर पूजा ना करियो घर झाड़ू खड़ी मत करियो,
झाड़ू के ऊपर से ना जाइयो बहु इतना कहा तू करियो,
कभी रात में झूठे बर्तन बहु छोड़ कर सो मत जइयो,
बेटी इतना धरियो ध्यान.....
जिस घर में दीमक जाले वहां बरकत कभी ना होती,
घर में बंद घड़ी ना अच्छी घाटा आबै जो टपके टूटी,
उत्तर पूरब मुंह करके भक्ति में ध्यान लगइयो,
बेटी इतना धरियो ध्यान.....
कभी फूल केतकी वाला शिव शंकर पर ना चढ़ईयो,
खड़े गणपति और लक्ष्मी ना सरस्वती खड़ी घर लइयो,
कहे संत कबीर ये वाणी ना औरत शंख बजइयो,
बेटी इतना धरियो ध्यान.....