मेरे खाटू के राजा कभी आओगे तो,
आया फागुन का मेला कभी आओगे तुम,
मैंने घर को सजाया कभी आओगे तुम,
चले आ श्याम चले आ,
खाटू में आके मेरी ये आंखे,
श्याम से मिल कर पूछ रही है,
श्याम खाटू से घर कब आओगे तुम,
मेरे खाटू के राजा कभी आओगे तो,
फागुन में आके निशान चढ़ा के तुम को देखा,
बस यही पूछा ,
श्याम खाटू से घर कब आओगे तुम,
मेरे खाटू के राजा कभी आओगे तो,
क्या है भरोसा इस दुनिया का,
लोग मुझे ये पागल कह जाये,
परवीन सेठी को कब तारो गे तुम,
श्याम खाटू से घर कब आओगे तुम,
मेरे खाटू के राजा कभी आओगे तो,