तर्ज: एक ऐसी लडकी थी
दुनिया के आगे प्रभु चुपचाप में रहता हुँ -2
मेरा तू ही तो हमदर्द है जिसे हर दर्द कहता हूं,
दुनिया के आगे प्रभु.......
दुनिया की 'आदत' करते बगावत 'जब दिन बुरे घेरते -2
नजरे है चुराते दूरी बढ़ाते 'सभी यार मुंह फेरते -2
ना समझे कोई भी किसी की परेशानियां,
मेरा तू ही तो हमदर्द है जिसे हर दर्द कहता हूं,
दुनिया के आगे प्रभु........
जग है छलावा तेरे अलावा 'किसी पे भरोसा नही 2
मुझे दाना पानी सिवा तेरे दानी 'किसी ने परोसा नही 2
भला कैसे भूलूं मैं तेरी मेहरबानियाँ,
मेरा तू ही तो हमदर्द है जिसे हर दर्द कहता हूं,
दुनिया के आगे प्रभु.....
आया नजर ना कोई भी अपना 'जब मुझको दरकार थी 2
तब मेरे पथ' का जीवन के रथ का 'तू ही बना सारथी 2
माधव ने की हर कदम पर निगहबानिया,
मेरा तू ही तो हमदर्द है जिसे हर दर्द कहता हूं,
दुनिया के आगे प्रभु.....