साँवरे किस्मत का मारा हूँ,
खाटू नगरी आया हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे,
आशा लेकर आया हु ,
घर से बेघर हुआ संवारे सुनता न कोई मेरी है,
सगे सभ्न्दी हसी उडाये काहे लगाई देर है,
हारे का इक तू ही सहारा ये अरदास लगता हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे,आशा लेकर आया हु ....
लख दातार कहाते हो तुम भेट क्या तुम्हे चडाऊगा,
अशुयों की जल धारा बहा कर सांवरियां को रिजाऊ गा,
नही ठिकाना कोई जग में तुम को आज बचाता हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे,
आशा लेकर आया हु ,
नही दिखाई देता जहांन में कोई मुझे सहारा है,
तीन बाण का धारी है वो बाबा श्याम हमारा है,
अपने हालतों को संवारे आके तुम्हे सुनाता हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे,
आशा लेकर आया हु ,
एह्ल्वती के राज दुलारे मेरा भी उधार करो,
आया शरण तुम्हारी अमित है मोर छड़ी स किरपा करो
रो रो पुकारे ना कर श्यामा ये आवाज लगाता हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे,
आशा लेकर आया हु ,