दरबार तेरा दाती निर्धन ने सजाया है

दरबार तेरा दाती निर्धन ने सजाया है,
हर रोज माँ आती हो मैंने शोर मचाया है,
दरबार तेरा दाती निर्धन ने सजाया है,

जो सर याहा झुक जाये कही झुकने नही पाये,
तूने अपने बचो को आँचल से लगाया है,
दरबार तेरा दाती निर्धन ने सजाया है,

तेरी लीला ज्वाला माँ ये अजब निराली है,
गिरने वालो को माँ गोदी में उठाया है,
दरबार तेरा दाती निर्धन ने सजाया है,

जो दर तेरे आये है झोली भर लाये है,
दरबार तेरे की माँ ये अज़ब माया है,
दरबार तेरा दाती निर्धन ने सजाया है,

तेरा लाल राजिंदर भी रहे चरणों में तेरे,
तेरी किरपा से मियां बड़ा नाम कमाया है,
दरबार तेरा दाती निर्धन ने सजाया है,
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