पतित पावनी मैय्या शाकुम्भरी की ये अमर कहानी है

ऊंचे शिवालक के पर्वत पर बैठी माता भवानी है
पतित पावन मैय्या शाकुम्भरी की ये अमर कहानी है

दुर्गम दानव ने ब्रह्मा से चारों वेद जो पा लिए
हाहाकार मची दुनिया में कष्टों के बादल छा गए
ब्रह्मा के वर से हो बलशाली इंद्र को उसने जीता था
जिसके कारण सौ वर्षों तक पानी कहीं ना बरसा था
सूख गए सब कूप और नदियां धरती पर छाई विरानी है
पतित पावनी मैय्या शाकुम्भरी की ये अमर कहानी है


प्रजा को देखा दुखी जब जग में देवता सब घबरा गए
कष्ट निवारणी महादेवी की शरण में सारे आ गए
देवों की विनती मान देवी ने दुर्गम दैत्य को मार दिया
अपने हजारों नैनों में उसने जल था निराला भर लिया
कृपा सुधा की धारा जग में बरसाती महारानी है
पतित पावनी मैय्या शाकुम्भरी की ये अमर कहानी है

देवी के नैनन के उस अमृत ने  प्यास बुझा दी धरती की
अनगिन शाक खेतों मे भर के काया सजा दी धरती की
नैनो के कुंभ से जल का बरसना सबकी भूख को धो गया
उसी घड़ी से जगदंबा का नाम शाकुम्भरी हो गया
मैया की निर्दोष दया से सुखी हुआ हर प्राणी हैं
पतित पावनी मैय्या शाकुम्भरी की ये अमर कहानी है
download bhajan lyrics (708 downloads)