चंदन के पलने में झूले रघुराई

चंदन के पलने में झूले रघुराई,
देख देख हरषाये कौशलया माई,

मुखड़े पे तेज कोटी सूरज के समान है,
देके सुनी ना कभी ऐसी मुश्कान है,
इतनी पावन छवि के सब के मन भइ,
देख देख हरषाये कौशलया माई,

लेती माँ भलाई कभी नजर उतार ती,
हीरे मोती पने अपने लाल पे वार ती,
कहती तुझपे पड़े न दुःख की परछाई,
देख देख हरषाये कौशलया माई,

छम छम पैजनियां भाजे राम जी के पाँव में,
जगत खिवैयाँ खेले ममता की छाव में,
संग है लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न सब भाइ,
देख देख हरषाये कौशलया माई,
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