चल राधा मधुवन चाला तारा छाई रात्रि,
झील मिल रास रचाये श्याम मधुवन में,
कोणी जाऊ मधुवन कान्हा सॉट तेरे हाथ में,
बंसी ने भजा दो तो चालु गी मधुवन में,
होठा से लग जावे बांस की बांसुरी,
तृणवन का सुख पाउ जी मधुवन में,
तान तू सुना सखियन ने साथ में लेले ग्वाल्दा,
हिर्दये में वसा राखो गुण गुण सी सखियन ने,
बांसुरी की धुन सुन राधा मुस्काई,
दोनों चल्या रास रचावण ने,