आजा कलयुग में ले के अवतार ओ गोविन्द ॥
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द ॥
यमुना का पानी तोसे करता सवाल है,
तेरे बिना देख ज़रा कैसा बुरा हाल है ॥
काहे तूने तोड़ लिया प्यार ओ गोविन्द ॥
अपने भक्तो की...........
निकला है सवा मन सोना जिस कोख से,
गाएं बेचारी मरे चारे बिना भूख से ॥
गैया को दिया दुत्कार ओ गोविन्द ॥
तेरे भक्तो की सुनले पुकार ओ मोहन,
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द,
घर घर में माखन की जगह शराब है,
कलियुगी गोपियां तो बहुत ही ख़राब है ॥
धर्म तो बना व्यापार ओ मोहन ॥
अपने भक्तो की..........
अब किसी द्रोपदी की बचती ना लाज रे,
बिगड़ा जमाना भये उलटे ही काज रे ॥
कंसो की बनी सरकार ओ गोविन्द ॥
अपने भक्तो की.......