कारज पूरण करने वाले भगतो के दुःख हरने वाले,
तीन लोक में सब से पहले होती होती जय जय कार तुम्हारी,
हे प्रथ्मेह्श्वर घज्मुख धारी सारे जग पर किरपा तुम्हारी,
रिधि सीधी के तुम को स्वामी देखा न कोई तुम सा ज्ञानी
तुम से ही भुधि सब पाते हे भुधि के तुम भंडारी,
हे प्रथ्मेह्श्वर घज्मुख धारी सारे जग पर किरपा तुम्हारी,
आधा नर घज रूप है आधा,डरे तुम्हारे नाम से वाधा,
नाम तुमहरा जपे जो उसकी हर लेते तुम विपदा सारी,
हे प्रथ्मेह्श्वर घज्मुख धारी सारे जग पर किरपा तुम्हारी,
शिव गोरा के लाल को ध्यावे,
सागर गुण गणपति के गावे,
दीनन के दाता सुन लेजियो केवल महिमा करे तुम्हारी,
हे प्रथ्मेह्श्वर घज्मुख धारी सारे जग पर किरपा तुम्हारी,