बैठे-बैठे के सोचे चल खाटू धाम ने
जन कितनों की किस्मत चमका दी बाबा श्याम ने
मेरी डूबी नैया पार लगा दी बाबा श्याम ने
अरे रे मेरे बाबा श्याम ने
ही रे रे मेरे बाबा श्याम ने
श्याम जैसा दातार नहीं मैंने ढूंढ लिया जग सारे में
जो काम कहीं ना होता हो यो कर दे एक इशारे में
जरा जोर लगा जयकारा में तज काम तमाम न
जन कितनों की किस्मत चमका दी बाबा श्याम ने
रिगंस की रज माथे लाकर श्याम निशान उठाना जी
अमृत जल श्री श्याम कुंड का मल मल के फिर नहाना जी
नजरों से नजर मिलाना जी पी मस्ती जाम ने
जन कितनों की किस्मत चमका दी बाबा श्याम ने
नैन से नैन मिलाकर के बस दो आँसू छलका देना
फिर चरणों में गिर कर के अपने दिल का हाल सुना देना
प्रशांत देवेंद्र भजन सुनावे लखदातार ने
जन कितनों की किस्मत चमका दी बाबा श्याम ने
मेरी डूबी नैया पार लगा दी बाबा श्याम ने