सेवकियाँ में दादी माहरो नाम लिख ले,
माहरी भी सेवा को थोड़ो स्वाद चख ले,
चाकरी धनि ही मिली जावे संसार में,
पर माहरो मनड़ो लागे थारे दरबार में,
टाबरा की छोटी सी या बात रख ले,
माहरी भी सेवा को थोड़ो स्वाद चख ले,
जमकर मियां थारी हज़ारी बजावेगा,
सेवक हा साँचा थारे मुख से काहुहावंगा,
आजमा के चाहे माँ ने आज देख ले,
माहरी भी सेवा को थोड़ो स्वाद चख ले,
हाजरी भजाया बिना माँगन ताहि आवा हा,
दुनिया कवे गी सोनू बैठा बैठा खावा हा,
चाकरी ने देकर माहरी लाज रख ले,
माहरी भी सेवा को थोड़ो स्वाद चख ले,