तेरे दरबार में इस सिर का झुकना भी जरुरी था,
मेरी आँखों से आंसू का टपकना भी जरुरी था,
बताओ क्या तुम्हे बाबा पता है सब भला तुम को.
जीत ने के लिये हारना भी जरुरी था,
भटक ते नहीं जो दर दर तुम्हारा द्वार न मिलता,
सताये जो नहीं जाते तुम्हारा प्यार न मिलता,
तो क्या होता हमे जो खाटू का ये धाम न मिलता,
मिला है आज जो बाबा हमे वो नाम न मिलता,
मगर अब याद आता है वो जग की ठोकरे खाना,
कंकरो से भरे रस्तो पे चलना भी जरुरी था,
तेरे दरबार में इस सिर का झुकना भी जरुरी था,
ये मांगू और क्या तुमसे तुम्हारा साथ काफी है,
मेरी हर जीत के पीछे तुम्हारा हाथ काफी है,
मेरे होठो से निकले बस तुम्हारा नाम काफी है,
मेरे भजनो से रिजो बस प्रभु वो भाव काफी है,
मगर अब बेफिक्र है हम तुम्हारा साथ है सिर पे,
सुभम रूपम को खाटू से गुजरना भी जरुरी था,
तेरे दरबार में इस सिर का झुकना भी जरुरी था,